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चीन प्लस वन रणनीति का हर तरफ शोर मगर भारत भी गंवा रहा विदेशी निवेश

FDI प्रवाह कम होने के चीन के नुकसान का फायदा भारत को नहीं मगर अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, ब्राजील, पोलैंड और जर्मनी को हुआ है।

Last Updated- April 05, 2024 | 11:56 PM IST
Foreign investors are again betting in the loan market, expectation of reduction in interest rates ऋण बाजार में फिर दांव लगा रहे विदेशी निवेशक, ब्याज दरों में कमी की उम्मीद

चीन प्लस वन रणनीति का लाभ उठाने की भारत की संभावना की हर तरफ शोर है मगर आंकड़े कुछ और ही स्थिति दर्शा रहे हैं। ओईसीडी के आंकड़ों से पता चलता है कि वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) में भारत की हिस्सेदारी साल 2023 के पहले नौ महीनों में 2.19 फीसदी रह गई, जो साल 2022 की इसी अवधि में 3.5 फीसदी थी।

चीन में भी एफडीआई प्रवाह साल 2023 के शुरुआती नौ महीनों में नाटकीय रूप से कम होकर 1.7 फीसदी हो गया, जो साल 2022 की इसी अवधि में 12.5 फीसदी था। इसका फायदा भारत को नहीं मिला है मगर चीन के इस नुकसान का फायदा अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, ब्राजील, पोलैंड और जर्मनी को हुआ है, जिसने अपनी वैश्विक हिस्सेदारी में वृद्धि की है।

कैलेंडर वर्ष 2023 के शुरुआती नौ महीनों वैश्विक एफडीआई प्रवाह में 29 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ अमेरिका शीर्ष पर है। पिछले साल इसकी हिस्सेदारी 24 फीसदी थी। इसे सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स में आने वाले निवेश से बल मिला है और ताइवान से साल 2023 में कुल 11.25 अरब डॉलर के एफडीआई की स्वीकृति मिली है।

चिप्स अधिनियम के तहत सरकारी योजनाओं ने भी मदद की है। सरकार ने सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए सब्सिडी में 50 अरब डॉलर निर्धारित की है। इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच भू-राजनीतिक तनाव ने ताइवान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों की कई कंपनियों को चीन पर निर्भरता कम करने और अमेरिका में विनिर्माण संयंत्र लगाने के लिए भी आकर्षित किया है।

कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की रिपोर्ट में स्थिति के बारे में कहा गया है, ‘चीन प्लस वन और महत्त्वपूर्ण सुधारों के बावजूद भारत में अभी भी एफडीआई निवेश में सार्थक वृद्धि हुई है। वहीं दूसरी ओर, चीन में एफडीआई प्रवाह में भारी गिरावट से अमेरिका और कुछ देशों को फायदा होता दिख रहा है।’

अमेरिका के अलावा कनाडा को भी इससे काफी फायदा हुआ है। समीक्षाधीन अवधि के दौरान एफडीआई में उसकी वैश्विक हिस्सेदारी 2.9 फीसदी बढ़कर 4.9 फीसदी हो गई है। मेक्सिको को भी इसका फायदा मिला है। उसकी हिस्सेदारी भी 2.8 फीसदी से बढ़कर 3.6 फीसदी हो गई। जर्मनी की हिस्सेदारी भी बढ़कर 2 फीसदी हो गई है, जो इसी अवधि में 0.4 फीसदी से तेज इजाफा है।

भारत को भी अपनी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना और सेमीकंडक्टर नीति से विदेशी निवेश लुभाने में कुछ सफलता मिली है। ऐपल इंक के अपने वेंडरों के साथ आने से मोबाइल निर्यात को बढ़ाने में मदद मिली है।

First Published - April 5, 2024 | 11:19 PM IST

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