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सर्वाइकल कैंसर: भारत में मृत्यु दर में कमी, लेकिन चुनौतियां भी बनी हुई हैं

सरकार इस गंभीर बीमारी से बचाव के लिए एचपीवी टीके लगाने पर विचार कर रही है

Last Updated- January 15, 2024 | 11:23 PM IST
Cervical

सर्वाइकल कैंसर भारत में महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है, लेकिन अब इसमें कुछ अहम बदलाव देखे जा रहे हैं। एक तरफ, इस कैंसर के कारण होने वाली मौतों की संख्या धीरे-धीरे कम हो रही है। वहीं दूसरी तरफ, सरकार इस गंभीर बीमारी से बचाव के लिए एचपीवी टीके लगाने पर विचार कर रही है।

वर्ष 2022 में दिल्ली के डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर अस्पताल के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के एक अध्ययन से पता चला है कि वर्ष 1990 में इससे प्रत्येक 1,00,000 महिलाओं पर मृत्यु दर 10.9 थी जो घटकर 2019 में 7.38 हो गई है। मृत्यु दर में इस गिरावट की वजह यह है कि अब जागरूकता बढ़ गई है और अधिक जांच तथा बेहतर स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच बढ़ी है।

वैश्विक स्तर पर कैंसर के आंकड़े और मृत्यु दर का अनुमान देने वाले एक ऑनलाइन डेटाबेस ग्लोबोकैन अनुसार, वर्ष 2020 के दौरान भारत में सर्वाइकल कैंसर के 1,23,907 नए मामले सामने आए हैं और इससे करीब 77,348 लोगों की जान चली गई। ग्लोबोकैन करीब 185 देशों में 36 तरह के कैंसर और इसके मृत्यु दर के अनुमान की जानकारी देता है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने संकेत दिया है कि उसने अभी तक देश में एचपीवी टीकाकरण शुरू करने को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले हफ्ते एक बयान में कहा, ‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय देश में एचपीवी टीकाकरण के शुरू होने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले पाया है। यह देश में सर्वाइकल कैंसर के मामलों पर बारीकी से नजर रख रहा है और राज्यों तथा विभिन्न स्वास्थ्य विभाग के साथ इस संबंध में नियमित रूप से संपर्क में है।’

अपोलो अस्पताल में सर्जिकल कैंसर के वरिष्ठ विशेषज्ञ अजेश राज सक्सेना बताते हैं कि मृत्यु दर में गिरावट की वजह यह है कि जागरूकता बढ़ने के साथ ही जांच की पहल और सर्वाइकल कैंसर के मरीजों तक स्वास्थ्य सेवा की पहुंच और वितरण में सुधार हुआ है। हालांकि अब भी ग्रामीण क्षेत्रों की जांच कम है।

फोर्टिस कैंसर इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में स्त्री कैंसर विभाग की प्रधान निदेशक रमा जोशी बताती हैं कि नियमित जांच कम होने से विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में इसको लेकर चुनौती बनी हुई है। जोशी ने आगे कहा, ‘भारत में हर साल लगभग 1,23,000 नए सर्वाइकल कैंसर के मामले सामने आते हैं, जिसके परिणामस्वरूप 77,000 से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।

इनमें से 75 प्रतिशत मामलों की जानकारी तब मिलती है जब यह चरम अवस्था में पहुंच जाता है, ऐसे में इससे उच्च मृत्यु दर ज्यादा देखी जाती है। इसमें सुधार के लिए जरूरी है कि जांच के साथ ही मरीजों की पहुंच प्रारंभिक इलाज तक हो विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।’

डॉक्टर देश में ही एचपीवी टीके के उत्पादन की उम्मीद कर रहे हैं जो कम लागत पर उपलब्ध होगी, सर्वाइकल कैंसर के मामले कम होंगे। मुंबई के कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल में सर्जिकल कैंसर विभाग के प्रमुख योगेश कुलकर्णी ने बताया, ‘हर 10 में से 9 से अधिक सर्वाइकल कैंसर के मामले मानव पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के कारण होते हैं। ऐसे में सर्वाइकल कैंसर के अधिकांश मामले एचपीवी टीकाकरण से रोके जा सकते हैं।’

देश में तैयार होने वाले एचपीवी टीके कम कीमत पर ( 250 रुपये से 800 रुपये प्रति खुराक) उपलब्ध हो सकते हैं जबकि आयातित टीके की कीमत 3,000 रुपये से 4,000 रुपये प्रति खुराक के बीच होगी।

भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामले में और कमी आने की उम्मीद है क्योंकि स्वास्थ्य विभाग इस टीके को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करने की विचार कर रहा है। देश में 15 साल से अधिक उम्र की लगभग 51.14 करोड़ महिलाओं की आबादी है और इनको सर्वाइकल कैंसर के जोखिम से बचाना है।

राजीव गांधी कैंसर संस्थान और अनुसंधान केंद्र में स्त्रियों को होने वाले कैंसर की विशेषज्ञ डॉ. सारिका गुप्ता कहती हैं, ‘किशोरावस्था में लगाया गया टीका, सर्वाइकल कैंसर को रोकने में 97 प्रतिशत तक प्रभावी है। ज्यादातर एचपीवी संक्रमण किशोरों, युवा और वयस्कों में होता है ऐसे में उनके संक्रमित होने से पहले उन्हें सुरक्षा देना महत्वपूर्ण है। साथ ही, किशोर उम्र में दिए गए एचपीवी टीके से रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।’

वैश्विक स्तर पर सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है। हालांकि भारत में शहरी और ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में इस तरह के कैंसर के मामलों में कमी देखी जा रही है। एक अनुमान यह है कि वर्ष 2020 में प्रत्येक 1,00,000 महिलाओं में अनुमानित तौर पर 10.9 नए मामले सामने आए।

पी. डी. हिंदुजा अस्पताल में स्त्री रोग कैंसर और रोबोटिक सर्जन डॉ. संपदा देसाई कहती हैं कि इस कैंसर का देर से पता लगाना अब भी एक बड़ी चुनौती है। ऐसे में जांच और टीकाकरण की पहल इस समस्या को दूर करने के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।

ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2019 के एक अध्ययन में बताया गया है कि वर्ष 1990 से 2019 के बीच भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामले में 21 प्रतिशत की कमी आई है, वहीं मृत्यु दर में 32 प्रतिशत की कमी देखी गई है।

वैसे तो मृत्यु दर में कमी एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन विशेषज्ञ जांच, जागरूकता और समय पर टीकाकरण के निरंतर प्रयास पर जोर देते हैं ताकि भारत में सर्वाइकल कैंसर के मामले और कम किए जा सकें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का लक्ष्य 2030 तक सर्वाइकल कैंसर को पूरी तरह से खत्म करना है। इसके साथ ही डब्ल्यूएचओ यह सुनिश्चित करना चाहता है कि 90 फीसदी लड़कियों को एचपीवी टीके की पूरी खुराक मिले और 70 प्रतिशत महिलाओं की पूरी जांच 35 साल की उम्र तक और फिर 45 साल की उम्र तक जरूर हो।

First Published - January 15, 2024 | 11:19 PM IST

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