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नौकरियों की गुणवत्ता घटी, निगरानी बढ़ी

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने मंगलवार को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि भारत में एल्गोरिदम प्रबंधन (एएम) के कारण नौकरी की गुणवत्ता में गिरावट आई है

Last Updated- April 24, 2025 | 11:35 PM IST
Government Jobs
प्रतीकात्मक तस्वीर

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने मंगलवार को जारी अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि भारत में एल्गोरिदम प्रबंधन (एएम) के कारण नौकरी की गुणवत्ता में गिरावट आई है, तथा निगरानी, निरीक्षण और कार्य की तीव्रता में बढ़ोतरी के ‘स्पष्ट’ प्रमाण मिले हैं। आईएलओ और यूरोपीय आयोग के 2024 में किए गए संयुक्त अध्ययन का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि फ्रांस और इटली जैसे देशों में एएम तकनीकों का संगठन के कामकाज पर सकारात्मक असर पड़ा है और नौकरियों की गुणवत्ता पर कोई खराब असर नहीं पड़ा है। वहीं दक्षिण अफ्रीका और भारत में एएम के कारण नौकरियो की गुणवत्ता में गिरावट आई है।

आईएलओ ने रिपोर्ट में कहा है, ‘इस अंतर से एएम के असर को आकार देने को लेकर संस्थागत और नियामकीय ढांचे की भूमिका उजागर हुई है। इससे यह भी साफ हुआ है कि परिणाम पर असर डालने वाली चीज तकनीक नहीं बल्कि उन्हें सही तरीके से लागू किया जाना है।’ एएम का तात्पर्य व्यापक डेटा संग्रह, निगरानी, वास्तविक समय निर्णय लेने और मीट्रिक से संचालित मूल्यांकन के माध्यम से काम के लक्ष्य का आवंटन, उनकी निगरानी और मूल्यांकन से है।

एएम डिजिटल तकनीकों जैसे कि बिग डेटा एनालिटिक्स, मशीन लर्निंग, जियोलोकेशन और पहनने योग्य उपकरणों को एकीकृत करता है, ताकि मानव प्रबंधकों द्वारा किए जाने वाले परंपरागत कार्यों को स्वचालित किया जा सके, या उनकी मदद की जा सके। इसका इस्तेमाल खासकर डिजिटल लेबर फ्लेटफॉर्मों पर हो रहा है, लेकिन एएम का विस्तार परंपरागत क्षेत्रों जैसे गोदामों, फैक्टरियों, काल सेंटरों, ट्रांसपोर्टेशन, हेल्थकेयर और कंस्ट्रक्शन में हो रहा है।

इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रिमोट/ऑनलाइन काम की वजह से नियोक्ताओं को सुरक्षा और कामकाज के स्वस्थ वातावरण सुनिश्चित करने को लेकर चुनौतियां आई हैं। नियमित जोखिम आकलन की सीधी निगरानी न होने पर कई तरह के जोखिम हो सकते हैं, जिसमें खराब एर्गोनॉमिक्स, पर्यावरण संबंधी जोखिम और अपर्याप्त सुरक्षा उपायों पर ध्यान नहीं दिया जा सकता है। इससे व्यावसायिक सुरक्षा और स्वास्थ्य (ओएसएच) संबंधी चिंताएं बढ़ जाती हैं।

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि भारत में सिर्फ 16 प्रतिशत रिमोट/ऑनलाइन कर्मचारियों के पास ही काम करने के लिए समर्पित जगह है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘दूर रहकर काम करने वाले कई कर्मचारियों के पास कार्यालय का काम करने के लिए उचित जगह नहीं होती है। इससे उन्हें पीठ के निचले हिस्से और गर्दन में दर्द जैसे मस्कुलोस्केलेटल बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। सामान्य एर्गोनॉमिक जोखिमों में लंबे समय तक बैठे रहना, बार-बार हाथ और कलाई की हरकतें और स्क्रीन को गलत स्थिति में रखना शामिल है, जो शारीरिक परेशानी, आंखों में दर्द और थकान का कारण बन सकता है। डेस्क पर काम करने वाले कामों की वजह से कुछ अतिरिक्त जोखिम बढ़ते हैं, जिसमें मोटापा, डायबिटीज और कार्डियोवस्कुलर बीमारियां शामिल हैं, क्योंकि कर्मचारी कई घंटों तक लगातार काम करता है और इसमें आराम करने के क्षण नहीं मिल पाते।’

First Published - April 24, 2025 | 11:35 PM IST

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