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कमर्शियल प्रॉपर्टी का किराया रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म में लाने से बढ़ेगा GST रेवेन्यू, किरायेदारों पर बढ़ेगा बोझ

ईवाई इंडिया के कर साझेदार सौरभ अग्रवाल के मुताबिक इससे कर पालन के मामले में एकरूपता आएगी और कारोबार के सभी क्षेत्रों को राहत मिलेगी।

Last Updated- September 10, 2024 | 10:26 PM IST
GST revenue will increase by bringing commercial property rent in reverse charge mechanism, burden on tenants will increase कमर्शियल प्रॉपर्टी का किराया रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म में लाने से बढ़ेगा GST रेवेन्यू, किरायेदारों पर बढ़ेगा बोझ

वाणिज्यिक संपत्ति को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (आरसीएम) के तहत लाने के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद के फैसले से सरकार का कर राजस्व बढ़ने की उम्मीद है लेकिन यह किरायेदारों के लिए महंगा सौदा साबित होगा। यह जानकारी इस उद्योग के विशेषज्ञों ने दी है।

360 रियल्टर्स के प्रबंध निदेशक अंकित कंसल ने बताया, ‘महत्त्वपूर्ण नीतिगत बदलाव के अंतर्गत जीएसटी भुगतान की जिम्मेदारी किरायेदारों पर डाल दी गई है। इससे सरकार का जीएसटी संग्रह बढ़ेगा और यह वाणिज्यिक संपत्ति किराया नियमों में अहम बदलाव की प्रगति को चिह्नित करता है।’

54वीं जीएसटी परिषद ने 9 सितंबर को घोषणा की थी कि यदि कोई ऐसा व्य​क्ति जो जीएसटी में पंजीकृत नहीं है, अपनी वाणिज्यिक संपत्ति किसी पंजीकृत व्यक्ति को किराए पर देता है तो इस किराए पर आरसीएम के तहत जीएसटी लगेगा। इससे पहले ऐसे मामलों पर कोई जीएसटी नहीं लगता था। यदि मकान मालिक जीएसटी के तहत पंजीकृत होता था तो 18 फीसदी जीएसटी लगता था। यह मामला रिहायशी संपत्ति को वाणिज्यिक संपत्ति के रूप में इस्तेमाल करने की स्थिति में भी लागू होता था।

रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड सर्वेयर्स के फेलो और वेस्टियन के मुख्य कार्याधिकारी श्रीनिवास राव के मुताबिक पुरानी व्यवस्था में ‘सरकार को राजस्व में खासा नुकसान’ होता था। उन्होंने बताया, ‘राजस्व के घाटे को कम करने और दायरे को बढ़ाने के लिए जीएसटी परिषद इसे आरसीएम के तहत लेकर आई थी। इससे जीएसटी पंजीकृत किराएदार पर नियम पालन करने की जिम्मेदारी बढ़ जाएगी।’

चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म भुटा शाह ऐेंड कंपनी एलएलपी के साझेदार हर्ष भुटा ने बताया, ‘इस कदम से सरकार को राजस्व बढ़ाने में मदद मिलेगी। यदि संपत्ति का इस्तेमाल वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए होता है तो किसी भी तरह की संपत्ति पर कर लगेगा, चाहे उसका मालिक जीएसटी के तहत पंजीकृत हो या नहीं।’

ईवाई इंडिया के कर साझेदार सौरभ अग्रवाल के मुताबिक इससे कर पालन के मामले में एकरूपता आएगी और कारोबार के सभी क्षेत्रों को राहत मिलेगी। हालांकि इससे किराएदार पर बोझ बढ़ जाएगा।

जीएसटी के पारंपरिक ढांचे में वस्तु एवं सेवाओं के आपूर्तिकर्ता पर ही खरीदार से जीएसटी वसूलने और संग्रह कर सरकार को भुगतान करने की जिम्मेदारी होती है। लेकिन आरसीएम के तहत वस्तु या सेवा हासिल करने वाले पर ही यह जिम्मेदारी होती है कि वह सीधे सरकार को जीएसटी भुगतान करे। इसलिए इस मामले में यह जिम्मेदारी किराएदार पर आ जाएगी।

रियल एस्टेट कंसल्टेंसी के अधिकारी ने बताया, ‘इन संपत्तियों के किरायेदारों को अधिक जीएसटी का भुगतान करना होगा। यह संपत्ति मालिक के साथ-साथ सरकार के लिए तो अच्छा है लेकिन इसका खमियाजा किरायेदार को भुगतना पड़ेगा।’ अभी तक दर की घोषणा नहीं की गई है लेकिन उद्योग के सूत्रों के अनुसार दर 18 फीसदी होने की उम्मीद है।

First Published - September 10, 2024 | 10:23 PM IST

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