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Non-Ulip policies: पत्नी-बच्चों का नॉन यूलिप बीमा कराएं, ज्यादा टैक्स बचाएं

नॉन यूलिप बीमा में हर एक व्यक्ति की पॉलिसी में 5 लाख रुपये तक प्रीमियम पर मिलती है टैक्स छूट

Last Updated- February 19, 2024 | 9:04 AM IST
ULIP insurance

वित्त वर्ष खत्म होने को है और इस समय कर बचाने की तमाम जुगत भिड़ाई जा रही होंगी। कर देनदारी कम करने के लिए कई लोग बीमा पॉलिसी खरीदने की भी सोच रहे होंगे। उन्हें पहले ही पता होना चाहिए कि बीमा पॉलिसियों पर कितना कर बचाया जा सकता है और कैसे बचाया जा सकता है। पिछले साल आए बजट में इन नियमों को काफी बदल दिया गया था।

नियमों में बदलाव

जीवन बीमा पॉलिसियों से प्राप्त आय को आयकर अधिनियम की धारा 10 (10डी) के तहत कुछ शर्तों के साथ कर से छूट दी गई थी, चाहे प्रीमियम की रकम कुछ भी क्यों न हो। मगर 1 अप्रैल, 2023 से सालाना 5 लाख रुपये से अधिक प्रीमियम वाली पॉलिसी पूरी होने पर मिलने वाली रकम पर कर वसूली शुरू कर दी गई है। सिंघानिया ऐंड कंपनी की पार्टनर ऋतिका नैयर ने कहा, ‘बीमाधारक की मौत होने पर मिलने वाली रकम पहले की ही तरह कर से पूरी तरह बरी रहेगी। 31 मार्च, 2023 तक जारी बीमा पॉलिसियों पर भी बदले नियमों का कोई असर नहीं होगा।’ उन्होंने कहा कि यह नियम मुख्य रूप से पारंपरिक योजनाओं पर लागू होता है जो यूनिट लिंक्ड बीमा सह निवेश (यूलिप) योजनाएं नहीं हैं।

मान लीजिए कि किसी व्यक्ति के पास ऐसी तीन पॉलिसियां हैं, जिनमें से प्रत्येक का प्रीमियम 2 लाख रुपये है। तो कुल मिलाकर प्रीमियम की रकम 5 लाख रुपये की सीमा से अधिक है। वेद जैन ऐंड एसोसिएट्स के पार्टनर अंकित जैन ने कहा, ‘जिन पॉलिसियों का कुल प्रीमियम 5 लाख रुपये या इससे कम है, उन्हें भुनाते समय कर छूट का लाभ पहले की तरह मिलता रहेगा। ऊपर दिए गए उदाहरण में केवल एक पॉलिसी से प्राप्त रकम पर ही कर चुकाना होगा।’

यूलिप के लिए नियम

यूलिप में भी प्रीमियम की रकम के लिए एक सीमा तय कर दी गई है, जिससे अधिक प्रीमियम वाली पॉलिसी पूरी होने पर मिलने वाली रकम कर के दायरे में आ जाती है। अंतरराष्ट्रीय कर वकील आदित्य रेड्डी ने कहा, ‘अगर किसी वित्त वर्ष के दौरान सभी यूलिप के लिए चुकाया गया कुल प्रीमियम 2.5 लाख रुपये से अधिक है तो उनके पूरे होने पर मिलने वाली रकम कर के दायरे में आएगी। प्रीमियम उससे कम हुआ तो यूलिप पर कर छूट पहले की तरह मिलती रहेगी।’ यह नियम 1 फरवरी, 2021 के बाद जारी की गई पॉलिसियों पर लागू होता है। अगर एक पॉलिसी का प्रीमियम 2 लाख रुपये और दूसरी का प्रीमियम 60,000 रुपये है, तो केवल दूसरी पॉलिसी से प्राप्त आय कर के दायरे में होगी।

निवेश के समय कर

नॉन-यूलिप पॉलिसियों, यूलिप, डेफर्ड एन्युटी एवं एन्युटी योजनाओं पर किसी एक वित्त वर्ष के दौरान धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की कटौती का फायदा मिलता है।

नॉन-यूलिप योजना

करदाता टर्म पॉलिसियों और पारंपरिक पॉलिसियों के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर धारा 80सी के तहत कटौती के लिए पात्र हैं। जैन ने कहा, ‘मगर इस कटौती के लिए प्रीमियम की रकम पॉलिसी की कुल बीमा रकम के मुकाबले 10 फीसदी से अधिक नहीं होनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कर लाभ अधिक मूल्य वाली निवेश योजनाओं के बजाय वास्तविक बीमा कवरेज वाली पॉलिसियों पर मिले।’

यूलिप

इन योजनाओं के लिए चुकाया प्रीमियम भी आयकर अधिनियम की धारा 80सी और धारा 80सीसीसी के तहत 1,50,000 रुपये तक कर कटौती का पात्र है। अक्विला के कार्यकारी निदेशक राजर्षि दासगुप्ता ने कहा, ‘इसमें आप अधिक रकम का निवेश कर सकते हैं, लेकिन यूलिप के प्रीमियम पर कुल कर कटौती 1.5 लाख रुपये तक ही होगी।’

डेफर्ड एन्युटी

डेफर्ड एन्युटी योजना सेवानिवृत्ति के दौरान नकदी प्रदान करती है। आप खुद के लिए अथवा अपनी पत्नी/पति अथवा बच्चों (आश्रित अथवा स्वतंत्र) के लिए डेफर्ड एन्युटी योजनाओं के मद में साल के दौरान खर्च की गई रकम पर कर कटौती का लाभ उठा सकते हैं। टैक्समैन के उपाध्यक्ष (अनुसंधान एवं सलाहकार) नवीन वाधवा ने कहा, ‘अगर डेफर्ड एन्युटी योजना के तहत बीमाधारक को नकद भुगतान प्राप्त करने का विकल्प प्रदान नहीं किया जाता है तो उन्हें कटौती का लाभ मिलेगा।’

तत्काल एन्युटी

तत्काल एन्युटी योजनाओं में निवेश की गई रकम भी धारा 80सी के तहत कटौती के लिए पात्र है। वाधवा ने कहा, ‘किसी व्यक्ति को कटौती तभी उपलब्ध होती है जब वह अपने नाम पर एन्युटी योजना में निवेश करता है। अगर वह अपने जीवनसाथी, बच्चों, माता-पिता या परिवार के किसी अन्य सदस्य के नाम योजना खरीदता है तो उसे यह लाभ नहीं मिलेगा।’

सावधानी से चुनें पॉलिसी

अपने जीवनसाथी या बच्चों के नाम पर बीमा पॉलिसी खरीदने की कोशिश करें क्योंकि 5 लाख रुपये तक कर छूट हरेक व्यक्ति को मिलती है। इसीलिए योजना पूरी होने पर मिलने वाली रकम कर के दायरे से बाहर रहेगी और उस पर आय क्लबिंग के नियम भी लागू नहीं होंगे।

सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि आपका वार्षिक प्रीमियम कर छूट की सीमा से अधिक न हो। नैयर ने कहा, ‘अधिकतम पात्र रकम के दायरे में रहने से यह सुनिश्चित होता है कि योजना के परिपक्व होने पर प्राप्त रकम कर के दायरे से बाहर होगी।’

नए नियम धनाढ्यों (एचएनआई) को अधिक प्रीमियम वाली बीमा-सह-निवेश योजनाओं को चुनने से रोक सकते हैं। मगर ये योजनाएं (और टर्म पॉलिसी) अभी भी विरासत संबंधी योजना बनाने के लिए काम कर सकती हैं। जैन ने कहा, ‘अगली पीढ़ी को रकम सौंपने के लिए बीमा कारगर तरीका है क्योंकि इसमें बीमाधारक की मृत्यु होने पर मिलने वाली रकम कर के दायरे से बाहर रहती है।’

पारंपरिक योजनाओं के बजाय टर्म इंश्योरेंस का चयन करना बेहतर होगा। पॉलिसीबाजार डॉट कॉम के प्रमुख (योजना-निवेश) समीप सिंह ने कहा, ‘बीमा कवर के लिए ऐसी रकम का चयन करें जो आपकी सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करती हो। आदर्श स्थिति में वह आपकी आय की 10 गुना हो सकती है।’

First Published - February 19, 2024 | 9:04 AM IST

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