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Editorial: चांदी में तेजी का दौर, ज्यादा निवेश से पहले बुनियादी बातों का रखें ध्यान

वर्ष 2024 में चांदी, डॉलर के संदर्भ में 21 फीसदी महंगी हुई जबकि सोने की कीमतें 28 फीसदी चढ़ी थीं। वहीं 2025 में 31 मई तक चांदी और सोना दोनों 25 फीसदी तक ऊपर गए।

Last Updated- June 13, 2025 | 11:05 PM IST
Gold vs Silver vs Sensex

सोने की कीमतों में तेजी के साथ ही कारोबारियों और निवेशकों ने चांदी (तथा अन्य महंगी धातुओं मसलन प्लेटिनम और वैनेडियम आदि) पर भी ध्यान देना शुरू कर दिया है। वर्ष 2024 में चांदी, डॉलर के संदर्भ में 21 फीसदी महंगी हुई जबकि सोने की कीमतें 28 फीसदी चढ़ी थीं। वहीं 2025 में 31 मई तक चांदी और सोना दोनों 25 फीसदी तक ऊपर गए। इस रिटर्न ने बहुत आसानी से समान अवधि में शेयर बाजार सूचकांकों के प्रतिफल को पीछे छोड़ दिया।

भारतीय निवेशकों ने दोनों धातुओं में तेजी का लाभ उठाया। जून 2024 और 1 जून, 2025 के बीच भारतीय सिल्वर एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ईटीएफ) के प्रबंधन के अधीन परिसंपत्तियों का मूल्य 125 फीसदी बढ़कर 16,866.20 करोड़ रुपये हो गया। समान अवधि में गोल्ड ईटीएफ की प्रबंधन के अधीन परिसंपत्तियां 82 फीसदी बढ़कर 62,452.94 करोड़ रुपये रहीं। 31 मई, 2025 को करीब 8,37,000 सिल्वर ईटीएफ फोलियो थे जबकि जनवरी 2025 में इनकी संख्या 6,00,000 थी।

चांदी की कीमतों में उतार-चढ़ाव का संबंध सोने की कीमतों से है लेकिन दोनों धातुओं का औद्योगिक प्रोफाइल बहुत अलग है। अपने रासायनिक गुणों के कारण सोने का इस्तेमाल कई वैज्ञानिक प्रयोगों में भी होता है। हां, इसका इस्तेमाल आभूषण उद्योग में भी किया जाता है। परंतु कुल स्वर्ण उत्पादन का करीब केवल 15 फीसदी ही इन उद्देश्यों में इस्तेमाल किया जाता है। अधिकांश सोने को खरीदकर रख लिया जाता है क्योंकि इसे मुद्रास्फीति और आर्थिक अनिश्चितताओं से बचाव का बढ़िया माध्यम माना जाता है। वहीं चांदी की करीब दो-तिहाई खपत विभिन्न औद्योगिक गतिविधियों में होती है।

चांदी ताप और बिजली की सबसे बड़ी सुचालक होती है और इसमें मजबूत एंटी बैक्टीरियल गुण भी होते हैं। इसका इस्तेमाल सेमीकंडक्टर बनाने में होता है और रासायनिक प्रक्रियाओं में उत्प्रेरक के रूप में भी। चांदी का इस्तेमाल बैटरी बनाने में, विभिन्न मिश्र धातुओं में, सौर ऊर्जा में, सेलफोन की टच स्क्रीन में तथा जल शोधक संयंत्रों में भी होता है।

इनमें से कई उद्योगों की वृद्धि प्रोफाइल मजबूत है और चांदी में निवेश करने वालों को औद्योगिक प्रोफाइल को भी ध्यान में रखना चाहिए। अकेले सौर ऊर्जा/फोटोवोल्टिक उद्योग से उत्पन्न होने वाली मांग 12 फीसदी की वार्षिक दर से बढ़ रही है। वहीं अन्य अनुप्रयोगों से भी मांग बहुत तेजी से बढ़ रही है। कमजोर वैश्विक वृहद माहौल के बावजूद चांदी की औद्योगिक मांग बरकरार है।

अब तक चांदी की कीमतें कई साल के उच्चतम स्तर पर हैं। सोने की कीमतें भी रिकॉर्ड ऊंचाई के करीब हैं। सोने की तरह चांदी की कीमतें भी डॉलर में ही निर्धारित होती हैं। ऐसे में जब अमेरिकी डॉलर कमजोर होता है, तो यह दोनों धातुओं की कीमतें बढ़ने की प्रवृत्ति दिखाता है। हाल के महीनों में डॉलर कमजोर हुआ है और यह भी एक कारक है जिसके चलते कीमतें बढ़ रही हैं।

कारोबारी सोने और चांदी की कीमतों के अनुपात को दो मूल्यवान धातुओं के सापेक्ष मूल्यांकन का आकलन करने के लिए एक सामान्य नियम के रूप में उपयोग करते हैं। ऐतिहासिक रूप से इसका औसत लगभग 60:1 के अनुपात में रहा है यानी एक ग्राम सोना खरीदने के लिए करीब 60 ग्राम चांदी की जरूरत होती है। अभी यह अनुपात 90 से अधिक है यानी सोने की तुलना में चांदी की कीमत काफी कम है।

इस अंतर का फायदा उठाने के लिए कारोबारी चांदी की खरीद कर रहे हैं। हालांकि निवेशकों को इस बात पर भी विचार करना चाहिए कि इन मूल्यवान धातुओं को अत्यधिक तवज्जो देने के भी अपने जोखिम हैं। खासकर यह देखते हुए कि इस समय सोने और चांदी की कीमतें बहुत अधिक हैं। परंतु यह कारोबार आकर्षक लग सकता है क्योंकि चांदी में तेजी जारी रह सकती है। अगर डॉलर कमजोर होता है तो सोने और चांदी की तेजी जारी रह सकती है। हालांकि खुदरा निवेशकों के लिए सही नियम यही है कि उन्हें सोने और चांदी का इस्तेमाल केवल विविधता लाने के लिए करना चाहिए। इनका अधिक आवंटन जोखिम बढ़ा सकता है।

First Published - June 13, 2025 | 9:38 PM IST

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