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साप्ताहिक मंथन: जनांकिकीय लाभ की असली कहानी

Last Updated- April 28, 2023 | 9:40 PM IST
India, population
Shutter Stock

अ​धिकांश प्रकाशनों ने संयुक्त राष्ट्र के एक संगठन की इस बात को बिना किसी आलोचना के स्वीकार कर लिया है कि भारत इस महीने दुनिया का सर्वा​धिक आबादी वाला देश बन गया है। आकलन के मुताबिक भारत की 142.9 करोड़ की आबादी चीन की जनसंख्या से मामूली अ​धिक है। आधुनिक जनगणना शुरू होने के बाद यह पहला मौका है जब भारत ने जनसंख्या में चीन को पीछे छोड़ा है।

विश्व बैंक संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों को दोहराता है, हालांकि उसका दावा है कि वह अनेक स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों का इस्तेमाल करता है। वैसे उनमें से कोई आंकड़ा संयुक्त राष्ट्र के इस दावे का समर्थन नहीं करता है कि भारत अब सर्वा​धिक जनसंख्या वाला देश है।

महत्त्वपूर्ण बात है कि न तो चीन और न ही भारत इस दावे का समर्थन कर रहा है। भारत का अनुमान है कि 2023 तक उसकी आबादी 138.3 करोड़ रहेगी जबकि चीन की दिसंबर की जनगणना के अनुसार उसकी आबादी 141.2 करोड़ है।

अमेरिकी जनसंख्या ब्यूरो जनसंख्या के आंकड़ों का भारत के नमूना पंजीयन व्यवस्था से मिलान करता है जो जन्म और मृत्यु के आंकड़ों, प्रवासन के आंकड़ों, कोविड से होने वाली मौतों आदि को दर्ज करता है। उसका मानना है कि 2023 में भारत की जनसंख्या करीब 139.9 करोड़ रह सकती है।

चीन के लिए ब्यूरो ने 141.3 करोड़ का जो आंकड़ा दिया है, भारत का आंकड़ा उससे कम है। वहीं वर्ल्डमीटर नामक एक स्वतंत्र डिजिटल एजेंसी के अनुसार भारत की मौजूदा आबादी 141.8 करोड़ है जबकि चीन की आबादी 145.5 करोड़ है।

यह अंतर बहुत मामूली नजर आता है और लगता है कि आबादी के मामले में अगर भारत अभी चीन से आगे नहीं है तो अगले कुछ वर्षों में वह हो जाएगा। परंतु यह ध्यान देने लायक है कि संयुक्त राष्ट्र आबादी को लेकर अपने अनुमान में लगातार गलत साबित होता रहा है।

सन 2010 में उसने कहा था कि अबाबादी के मामले में भारत 2021 तक चीन से आगे निकल जाएगा और 2025 तक भारत की आबादी चीन से 6.3 करोड़ अ​धिक हो जाएगी। 2021 के मामले में वह पूरी तरह गलत साबित हुआ और 2025 वाले मामले में भी वह गलत ही साबित होगा।

सन 2015 में उसने कहा था कि 2050 तक भारत की आबादी 170 करोड़ का स्तर पार कर जाएगी। लब्बोलुआब यह कि आबादी पर संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों की छानबीन करनी होगी, उसे जस का तस स्वीकार नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे गलत साबित हो सकते हैं।

अहम बात यह है कि चीन की आबादी अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुकी है जबकि भारत की आबादी निरंतर बढ़ रही है। ऐसे में कई पर्यवेक्षकों का कहना है कि भारत के पास युवा आबादी का लाभ रहेगा और आबादी का बड़ा हिस्सा कामगार आयु का होगा। ऐसे में भारत के पास एकबारगी जनांकिकीय लाभ भी होगा। परंतु बीती चौथाई सदी में जितनी बार इस लाभ की बात की गई वास्तव में इसका उतना फायदा नहीं उठाया जा सका।

एक ऐसे देश में जहां सफलताओं का जश्न उनके वास्तव में घटित होने के पहले ही मना लिया जाता है वहां इस बात की संभावना अ​धिक है कि जनांकिकीय फायदा भी यूं ही गंवा दिया जाएगा। चीन ने उचित ही कहा है कि लोगों की तादाद के साथ उनकी गुणवत्ता भी मायने रखती है।

भारत की आबादी की वृद्धि अपने आप में ​शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की नाकामी का ​परिणाम है। अभी भी एक निरक्षर भारतीय महिला औसतन तीन बच्चों को जन्म देती है जबकि ​शि​​क्षित महिलाओं की प्रजनन दर 1.9 है। उत्तर प्रदेश में क्रूड जन्म दर (एक खास अव​धि में एक खास भौगोलिक क्षेत्र में होने वाले जन्म) केरल से दोगुनी है।

वहीं क्रूड मृत्यु दर (एक खास समय में खास क्षेत्र में कुल मौतें) की बात करें तो मध्य प्रदेश में यह केरल से आठ गुनी है। उच्च मृत्यु दर माताओं को ज्यादा बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करती है। केवल ​शिक्षा और अच्छी जन स्वास्थ्य सेवा ही इस चक्र को रोक सकती है।

सकारात्मक बात यह है कि देश की आबादी में एक दशक में होने वाली वृद्धि आधी रह गई है। सन 1960, 1970 और 1980 के दशक के 24 फीसदी से कम होकर बीते दशक में यह 12 फीसदी से कम रह गई। इसमें और कमी आ रही है। देश के द​क्षिण और प​श्चिम में ​स्थित राज्यों की उर्वरता दर पहले ही प्रतिस्थापन स्तर से नीचे है। केवल गरीब, कम ​शि​​क्षित और कम विकसित राज्यों में ही आबादी में इजाफा जारी रहने वाला है।

जनांकिकीय लाभांश का लाभ केवल तभी लिया जा सकता है जब मानव संसाधन विकसित किया जाए और इससे पहले कि कुछ दशक बाद जनांकिकीय बदलाव हो, उनका उत्पादक इस्तेमाल सुनि​श्चित किया जा सके। तब तक अगर मौजूदा रुझानों से देखें तो भारत एक उच्च-मध्य आय वाला देश रह सकता है जो मध्य आयु की ओर बढ़ रहा हो।

भारत का जीवन स्तर द​क्षिण-पूर्वी ए​शिया और लैटिन अमेरिका के कुछ हिस्सों या चीन जैसा होने में कम से कम 20 वर्ष का समय लगेगा। उनकी प्रति व्य​क्ति आय भारत से करीब ढाई गुना है।

First Published - April 28, 2023 | 9:20 PM IST

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