facebookmetapixel
रेट कट का असर! बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट शेयरों में ताबड़तोड़ खरीदारीTest Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासा

बेरोजगार युवा और हमारी शिक्षा पद्धति

युवा बेरोजगारी उन लोगों में अधिक देखी जा रही है जिनके पास डिग्री, डिप्लोमा या प्रमाणपत्र तो हैं मगर वे सही मायने में शिक्षित या हुनरमंद नहीं हैं।

Last Updated- June 19, 2024 | 9:35 PM IST

कुछ बेरोजगारी स्वाभाविक होती है। युवाओं में स्वाभाविक बेरोजगारी दर कुल स्वाभाविक दर से अधिक हो सकती है। परंतु, भारत में वास्तविक आंकड़े चौंका देने वाले हैं।

स्नातक उत्तीर्ण युवाओं में एक तिहाई से थोड़े कम बेरोजगार हैं और माध्यमिक या उच्च माध्यमिक उत्तीर्ण युवाओं में पांच में एक बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं। आखिर, यह हालत क्यों हैं और इसके समाधान के लिए क्या किया जा सकता है? रोजगार बाजार में मांग और आपूर्ति पक्ष दोनों ही महत्त्वपूर्ण हैं। हालांकि, यहां चर्चा रोजगार की मांग पर केंद्रित रहेगी।

कई युवा रोजगार की तलाश कर रहे है मगर वास्तव में रोजगार की उनकी मांग केवल सांकेतिक ही मानी जा सकती है। यह अलग बात है कि ऐसे लोग पूरी गंभीरता से रोजगार की तलाश में जुटे रहते हैं। रोजगार की मांग वास्तविक तब होती है जब उपयुक्त हुनर, शिक्षा और भविष्य में कुछ संभावित योगदान देने में सक्षम लोग जीविकोपार्जन का माध्यम यानी नौकरी तलाश रहे होते हैं।

उक्त बातों पर विचार करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा जा सकता है कि रोजगार की मांग वास्तव में अधिक नहीं है। इसका कारण बिल्कुल सीधा-सपाट है। उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा केवल कुछ सीमित छात्रों तक ही उपलब्ध है। कई नियोक्ता विभिन्न तरीकों से इन अच्छे उम्मीदवारों को नौकरियों की पेशकश करते हैं। इस समस्या की जड़ कहीं और है।

युवा बेरोजगारी उन लोगों में अधिक देखी जा रही है जिनके पास डिग्री, डिप्लोमा या प्रमाणपत्र तो हैं मगर वे सही मायने में शिक्षित या हुनरमंद नहीं हैं। मगर इन छात्रों एवं उनके परिवारों के बीच धारणा यह है कि उन्हें अच्छी नौकरी मिलनी चाहिए।

दुर्भाग्य से यह एक सुहावना विचार है और संभवतः एक कटु सत्य भी है। यहां उद्देश्य ऐसे छात्रों या उनके परिवारों को और दुखी नहीं करना है। ऐसे लोगों की हालत के लिए शिक्षा पद्धति में मौजूद त्रुटियां जिम्मेदार हैं। ये त्रुटियां एक दिन में नहीं बल्कि समय के साथ अपनी जड़ें जमाती गई हैं।

वास्तव में शिक्षा प्रणाली में संकट की स्थिति है मगर अफसोस कि यह समाचार माध्यमों की सुर्खी नहीं बन पाती है। वस्तुतः कहीं न कहीं शिक्षा प्रणाली बीमार है और इस संदर्भ में भीषण युवा बेरोजगारी इसका एक लक्षण है। अक्सर यह लक्षण समाचार माध्यमों का ध्यान खींचता है मगर बीमारी पर कोई चर्चा नहीं होती है। शिक्षा पद्धति से जुड़ी इन सभी समस्याओं का क्या निराकरण हो सकता है?

हमें शिक्षा की संरचना में व्यापक बदलाव करने होंगे, यद्यपि यह काम चरणबद्ध तरीके से करना होगा। शिक्षा पर सरकार की तरफ से अधिक व्यय करना महत्त्वपूर्ण है मगर केवल इससे बात नहीं बनने वाली है। हमें दूसरे कदम भी उठाने होंगे, जैसे शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण नीति का विकल्प खोजना होगा। शिक्षा में राजनीति एवं विचारधारा कम करनी होगी। यह मामला उन पाठ्यक्रमों से भी जुड़ा हुआ है जिनकी पेशकश की जाती है और जिनकी नहीं की जाती है।

इसके साथ ही संकाय सदस्यों की नियुक्ति एवं प्रोन्नति पर भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। यहां तक कि शैक्षणिक संस्थाओं के लिए भूमि आवंटन नीति पर भी विचार करने की आवश्यकता है। हमें ‘स्किल इंडिया’ कार्यक्रम और नई शिक्षा नीति से परे जाकर काम करने की आवश्यकता है। छात्रों के प्रमाणन की विश्वसनीयता पर किसी का ध्यान नहीं जाता है मगर यह पक्ष बहुत महत्त्वपूर्ण है। ऊंचा ग्रेड या दर्जा पाने वाले ज्यादातर छात्रों में कई वास्तव में बहुत शिक्षित या प्रतिभावान नहीं होते हैं।

बिना तथ्यों को समझे ही उन्हें कंठस्थ कर परीक्षा में लिखने के बाद मिलने वाले अंक, पर्चा लीक, परीक्षा कक्षों में चोरी, परिणामों में धांधली, पक्षपात आदि शिक्षा व्यवस्था की विभिन्न समस्याओं का हिस्सा भर हैं। कई दूसरे मुद्दे भी जुड़े हैं।

भारत में परीक्षाएं मोटे तौर पर प्रतिभा का निर्धारण सटीक रूप से नहीं करती हैं। चूंकि, अधिक अंक गुणवत्ता का कोई विश्वसनीय प्रमाण नहीं होते हैं, इसलिए साफ-सुथरी परीक्षाओं में भी ऊंचे अंक पाने वाले छात्रों में बेरोजगारी की दर अधिक देखी गई है। जो लोग कम अंक लाते हैं जरूरी नहीं है कि वे अक्षम हैं। त्रुटिपूर्ण परीक्षा प्रणाली के कारण भी कुछ लोगों के अंक कम आते हैं।

युवाओं का एक ऐसा समूह भी है जो प्रतिभावान है मगर उनकी क्षमता अन्य क्षेत्रों जैसे स्टैंड-अप कॉमेडी, जूलरी डिजाइनिंग, यूट्यूब वीडियो तैयार करने में हैं। मगर इनके लिए शायद ही मुख्यधारा में विश्वसनीय प्रमाणन की कोई व्यवस्था उपलब्ध है। लिहाजा, वे तब तक बेरोजगार हैं जब तक बिना हिम्मत हारे कोई रास्ता नहीं खोज लेते हैं।

कुछ लोगों को लगता है कि कई छात्रों को शिक्षित करने की जरूरत नहीं है क्योंकि आपूर्ति के मोर्चे पर रोजगार सृजन की सीमित संभावनाएं हैं। मगर ऐसे कह कर वे एक बड़ी सच्चाई को समझ नहीं पा रहे हैं। रोजगार उन लोगों के लिए उपलब्ध नहीं हैं जो सही मायने में प्रशिक्षित नहीं हैं। अगर कोई उम्मीदवार दुरुस्त है तो उसे देर-सबेर रोजगार या कोई पेशा अपनाने का अवसर हाथ लग ही जाता है।

इस तरह, शिक्षा काफी उपयोगी है, बशर्ते इसकी गुणवत्ता कम नहीं हो और आर्थिक नीति इस तरह तैयार की जाए कि जिससे एक तार्किक, अवसर सृजित करने वाली और सभी को सक्षम बनाने वाली अर्थव्यवस्था का निर्माण संभव हो पाए।

अंत में, हम इस चर्चा के एक दूसरे महत्त्वपूर्ण पहलू पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उन लोगों का ध्यान रखने की जरूरत है जो परीक्षा तो ‘पास’ कर चुके हैं मगर उन्हें इसलिए रोजगार नहीं मिल रहे हैं क्योंकि उनके पास पर्याप्त हुनर या प्रशिक्षण नहीं है।

ऐसे लोगों को दोबारा प्रशिक्षित करना जरूरी है। यद्यपि, यह काम दूसरे रूप में भी किया जा सकता है। इस बीच, अंतरिम में पर्याप्त बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान की व्यवस्था की जानी चाहिए।

इस पूरी चर्चा का यही निष्कर्ष निकलता है कि जब अगली बार भारत में युवाओं में ऊंची बेरोजगारी दर पर बहस छिड़ी तो वित्त मंत्री के साथ शिक्षा मंत्री की भूमिका पर भी चर्चा की जानी चाहिए।

(लेखक अर्थशास्त्री हैं और अशोक विश्वविद्यालय, आईएसआई (दिल्ली) और जेएनयू में पढ़ा चुके हैं)

First Published - June 19, 2024 | 9:26 PM IST

संबंधित पोस्ट