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डिजिटल कानून का मसौदा जल्द, AI जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों से निपटने में करेगा मदद

Last Updated- May 23, 2023 | 10:50 PM IST
Sourabh Lele 3:16 PM (4 hours ago) to newsdesk, Shivani Government to narrow down safe harbour for social media companies

Digital india Bill: केंद्र सरकार जून के पहले हफ्ते में डिजिटल इंडिया कानून (Digital india Bill) का पहला मसौदा जारी करेगी। आईटी अ​धिनियम, 2000 की जगह लेने वाला यह प्रस्तावित कानून आधुनिक युग के इंटरनेट और कृत्रिम मेधा यानी आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने डिजिटल इंडिया कानून के व्यापक सिद्धांतों पर उद्योग के हितधारकों, बड़ी तकनीकी फर्मों, स्टार्टअप, उद्योग संगठनों और वि​धि विशेषज्ञों के साथ आज दूसरे दौर का परामर्श किया। इस विधेयक का उद्देश्य इंटरनेट मध्यस्थों की परिभाषा तथा वर्गीकरण और उनके लिए सुर​क्षित माने जाने वाले क्षेत्रों की आवश्यकता की समीक्षा करना है।

मगर सरकार ने इंटरनेट के लिए नया नियामक बनाने की आशंका खारिज कर दी। पहले माना जा रहा था कि सरकार इंटरनेट के लिए अलग नियामक बना सकती है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘आईटी कानून में अलग से कोई नियामक नहीं है, इसलिए नए कानून में भी डिजिटल नियामक की जरूरत नहीं है। वि​भिन्न क्षेत्रों लिए पहले से ही नियामक हैं और अन्य कानूनों के तहत वि​भिन्न संस्थाएं भी बनाई गई हैं।’

हितधारकों के साथ बैठक के दौरान चंद्रशेखर ने आईटी कानून के तहत सुर​​क्षित शरणस्थली (सेफ हार्बर) प्रावधान पर फिर विचार करने की जरूरत भी दोहराई। इसके तहत फिलहाल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अवैध सामग्री साझा किए जाने पर भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती।

चंद्रशेखर ने कहा, ‘अभी अनियमितता करने वाले और गुमनाम रहने वाले का पता नहीं चल पाता। ऐसे में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर गलत या भ्रामक साम​ग्री से पीड़ित नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार पर आ जाती है। मेरा प्रस्ताव है कि डिजिटल इंडिया कानून में इस पर सक्रियता से विचार किया जाए और आईटी कानून की धारा 79 (सेफ हार्बर) को पूरी तरह से खत्म करते हुए गलत एवं द्वेषपूर्ण तथा अवैध सामग्री से निपटने की जिम्मेदारी प्लेटफॉर्म पर ही डाली जाए।’

प्रस्तावित विधेयक में डिजिटल प्रशासन, ओपन इंटरनेट, ऑनलाइन सुरक्षा एवं भरोसा शामिल हो सकते हैं। इसमें उपयोगकर्ताओं को नुकसान, बिचौलिये, जवाबदेही, नियामकीय ढांचा, उभरती प्रौद्योगिकी, जोखिम और उनसे बचाव भी शामिल होंगे।

विधेयक में इंटरनेट का उपयोग करने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए भी विशेष प्रावधान

इस विधेयक में इंटरनेट का उपयोग करने वाले बच्चों की सुरक्षा के लिए भी विशेष प्रावधान होंगे। चंद्रशेखर ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा विधेयक में हमने उन सभी प्लेटफॉर्म पर विशेष प्रतिबंध लगाए हैं, जिनमें बच्चों का डेटा होता है। उसी सिद्धांत के आधार पर डिजिटल इंडिया कानून में बच्चों की सुरक्षा के लिए और उन्हें वयस्कों के मुकाबले अधिक सुरक्षित एवं विश्वसनीय इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए खास उपाय होंगे।’

चंद्रशेखर ने कहा, ‘उपयोगकर्ताओं को नुकसान से संबंधित प्रावधान इस बात पर केंद्रित होंगे कि हम एआई और उभरती प्रौद्योगिकी को किस प्रकार अपनाते हैं। उपयोगकर्ताओं के नुकसान को ध्यान में रखते हुए उसके प्रावधान और सिद्धांत तैयार किए जाएंगे।’

मंत्रालय ने पहले लत लगने वाली प्रौद्योगिकी एवं बच्चों के डेटा की सुरक्षा, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बच्चों की सुरक्षा एवं गोपनीयता, गेमिंग और सट्टेबाजी ऐप को कायदों के दायरे में लाकर नाबालिगों को उससे दूर रखने का प्रस्ताव किया था। अब उसने रिवेंज पॉर्न, साइबर बुलीइंग, डार्क वेब, मानहानि अथवा डॉक्सिंग (दुर्भावना के साथ किसी की पहचान इंटरनेट पर जाहिर करना) आदि से उपयोगकर्ता को होने वाले नुकसान के खिलाफ प्रावधान करने का भी सुझाव दिया है।

First Published - May 23, 2023 | 10:50 PM IST

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