facebookmetapixel
Test Post कैश हुआ आउट ऑफ फैशन! अक्टूबर में UPI से हुआ अब तक का सबसे बड़ा लेनदेनChhattisgarh Liquor Scam: पूर्व CM भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य को ED ने किया गिरफ्तारFD में निवेश का प्लान? इन 12 बैंकों में मिल रहा 8.5% तक ब्याज; जानिए जुलाई 2025 के नए TDS नियमबाबा रामदेव की कंपनी ने बाजार में मचाई हलचल, 7 दिन में 17% चढ़ा शेयर; मिल रहे हैं 2 फ्री शेयरIndian Hotels share: Q1 में 19% बढ़ा मुनाफा, शेयर 2% चढ़ा; निवेश को लेकर ब्रोकरेज की क्या है राय?Reliance ने होम अप्लायंसेस कंपनी Kelvinator को खरीदा, सौदे की रकम का खुलासा नहींITR Filing 2025: ऑनलाइन ITR-2 फॉर्म जारी, प्री-फिल्ड डेटा के साथ उपलब्ध; जानें कौन कर सकता है फाइलWipro Share Price: Q1 रिजल्ट से बाजार खुश, लेकिन ब्रोकरेज सतर्क; क्या Wipro में निवेश सही रहेगा?Air India Plane Crash: कैप्टन ने ही बंद की फ्यूल सप्लाई? वॉयस रिकॉर्डिंग से हुआ खुलासाPharma Stock एक महीने में 34% चढ़ा, ब्रोकरेज बोले- बेचकर निकल जाएं, आ सकती है बड़ी गिरावट

सूखे से जूझते किसानों का सहारा बनी शहतूत: क्यों कपास छोड़ रेशम की खेती की ओर बढ़े महाराष्ट्र के किसान?

किसानों के बदले रुख को भांपते हुए राज्य सरकार भी केंद्र सरकार के सहयोग से विदर्भ में रेशम की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही है।

Last Updated- March 31, 2025 | 6:36 PM IST
Silk Farming
प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels

Silk Farming: महाराष्ट्र में किसान अब पारंपरिक फसलों को छोड़कर दूसरी खेती की ओर बढ़ रहे हैं। महाराष्ट्र के किसानों को अब रेशम की खेती पसंद आ रही है। लगातार सूखे की मार झेल रहे महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में खेती का तरीका बदल रहा है। लगातार फसल खराब होने, अनियमित मौसम और सीमित उपजाऊ भूमि के कारण पारंपरिक खेती पर निर्भर रहना जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में कम पानी में फलने-फूलने वाली शहतूत की खेती किसानों के लिए एक लाभदायक और स्थायी कृषि विकल्प के रूप में उभर रही है।

पिछले कुछ सालों से महाराष्ट्र के किसान कपास की जगह शहतूत की खेती को प्राथमिकता दे रहे हैं। किसानों के बदले रुख को भांपते हुए राज्य सरकार भी केंद्र सरकार के सहयोग से विदर्भ में रेशम की खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू कर रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने रेशम उद्योग को और अधिक बढ़ावा देने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया है कि केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड की प्रक्रिया तेजी से पूरी की जाए और प्रस्ताव जल्द भेजे जाएं।

रेशम उद्योग को BAIF का सहयोग

राज्य सरकार भारतीय कृषि उद्योग फाउंडेशन (BAIF) के साथ मिलकर शहतूत और टसर रेशम उद्योग के समग्र विकास के लिए काम कर रही है। जहां रेशम निदेशालय के कार्यालय उपलब्ध नहीं हैं, वहां विशेष रूप से इस योजना को लागू किया जाएगा। BAIF ने शहतूत की खेती, अंडे से कोष (ककून) उत्पादन, और रेशम उद्योग से जुड़े अन्य प्रसंस्करण कार्यों के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत की है। सरकार इस उद्योग को बढ़ावा देकर विशेष रूप से ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखती है। वन विभाग शहतूती, ऐन और अर्जुन वृक्षों की खेती में सहायता करेगा, जो रेशम कीट पालन के लिए आवश्यक हैं।

रेशम कोष उत्पादन पर प्रोत्साहन अनुदान

महिलाओं और आदिवासी समुदायों की आय बढ़ाने के लिए पांच साल की योजना बनाई गई है, जिससे 10,000 किसानों को लाभ मिलेगा। जिला वार्षिक योजना के तहत, तुती और टसर रेशम पालन करने वाले किसानों को 75 फीसदी तक की सब्सिडी दी जाएगी। 15-दिन के तकनीकी प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।  रेशम धागा उत्पादन के लिए वित्तीय सहायता, जिससे ग्रामीण रोजगार बढ़ेगा। आधुनिक यंत्रों पर सब्सिडी, जैसे मल्टी-एंड रेलिंग यूनिट (100 रुपये प्रति किलो), ऑटोमेटिक रीलिंग यूनिट (150 रुपये प्रति किलो), और टसर रीलिंग यूनिट (100 रुपये प्रति किलो)। राज्य सरकार, आधुनिक तकनीक और उचित मार्गदर्शन के माध्यम से ग्रामीण और सूखाग्रस्त क्षेत्रों के किसानों की आय बढ़ाने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

रेशम खेती में शहतूत के पेड़ों का महत्वपूर्ण कार्य होता है । इसी शहतूत के पत्तों को रेशम कीट खाकर रेशम बनाते हैं । शहतूत की पत्तियां रेशम कीट का पसंदीदा खाना होने के कारण कीट इसे खाकर अधिक मात्रा में रेशम का उत्पादन करते हैं

First Published - March 31, 2025 | 6:34 PM IST

संबंधित पोस्ट