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हाइ​ब्रिड से मजबूत होगी इले​​क्ट्रिक कारों की पैठ, यूरोपीय देशों के मुकाबले भारत में बिक्री बहुत कम

यदि ई-रिक्शा को भी शामिल किया जाए तो देश में दोपहिया और तिपहिया क्षेत्र में ईवी की पैठ बढ़कर 6-7 प्रतिशत तक है

Last Updated- March 01, 2023 | 8:30 PM IST

यदि भारत अपने प्रमुख ग्रीन लक्ष्य को पूरा करना चाहता है तो देश में यात्री कारों और दोपहिया दोनों में ईवी पैठ मजबूत बनाए जाने की जरूरत होगी। 2022 में कुल कार पंजीकरण (33 लाख वाहनों) में इले​क्ट्रिक कारों का योगदान करीब 1 प्रतिशत (33,000) रहा। यदि पिछले साल बेची गईं हाइब्रिड इले​क्ट्रिक कारों को भी शामिल किया जाए तो दोनों (ई-कारों और हाइब्रिड इले​क्ट्रक कारों) की संयुक्त भागीदारी कुल कार बिक्री में महज 0.5 प्रतिशत तक बढ़ी।

यूरोप के कई देशों और जापान तथा द​क्षिण कोरिया जैसे प्रमुख बाजारों के विपरीत भारत ज्यादा व्यापक हाइब्रिड (पेट्रोल और इलेक्ट्रिक) कार बाजार नहीं है।

इसे इस तरह से समझते हैं: पीडब्ल्यूसी आंकड़े के अनुसार, यूरोप (10 प्रमुख देशों) में बैटरी इले​क्ट्रिक वाहन (बीईवी) पंजीकरण की भागीदारी 2022 में पूरी यात्री कार पंजीकरण के 15.4 प्रतिशत पर रही।

दूसरी तरफ, हाइब्रिड इले​​क्ट्रिक कारों की भागीदारी 23.9 प्रतिशत पर रही। ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और स्पेन जैसे देशों में भी हाइब्रिड कारों और प्योर इले​क्ट्रिक कारों के बीच अंतर था। समान ​स्थिति जापान में देखने को मिली, जहां यात्री कारों में बीईवी योगदान 31,000 यूनिट पर रहा, जो पिछले साल कुल कार पंजीकरण का महज 1.4 प्रतिशत है, जबकि एचईवी का योगदान 49 प्रतिशत (10 लाख वाहन से ज्यादा) रहा। द​क्षिण कोरिया में भी, हाइब्रिड कारों की बिक्री 2022 में इले​​क्ट्रिक कारों की तुलना में अच्छी रही और देश में 259,000 हाइब्रिड कारों की बिक्री हुई जबकि बीईवी के लिए यह आंकड़ा 155,000 रहा।

भारत में, मारुति सुजूकी हाइब्रिड बाजार पर नजर लगाए हुए है। कंपनी के चेयरमैन आर सी भार्गव का कहना है कि वैक​ल्पिक तकनीकों (जैसे हाइ​ब्रिड इले​क्ट्रिक और सीएनजी) के साथ साथ प्योर इले​​क्ट्रिक को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिससे कि ग्राहकों को महंगी इले​​क्ट्रिक कारों का पर्यावरण अनुकूल विकल्प मिले।

उनका मानना है कि हाइब्रिड वाहन 7 लाख रुपये मूल्य की छोटी कारों के लिए उपयुक्त समाधान होंगे। भारत में 7 लाख रुपये तक की कारों का बाजार काफी बड़ा है। लेकिन सरकार ने आईसीई वाहनों को प्रत्यक्ष तौर पर इले​​क्ट्रिक बनाने पर जोर दिया है।

चीन में इले​​क्ट्रिक कारों की पैठ 2022 में कुल पंजीकरण के करीब 20 प्रतिशत की ऊंचाई पर पहुंच गई। वहीं हाइब्रिड इले​​क्ट्रिक कार पंजीकरण सिर्फ 8 लाख (3.1 प्रतिशत) था। अमेरिका में, इसके लिए दौड़ ज्यादा चुनौतीपूर्ण है, वहां 2022 में 725,000 इले​​क्ट्रिक कारों का पंजीकरण हुआ जो कुल बिक्री का 5.3 प्रतिशत है। वहीं हाइब्रिड कारों की भागीदारी 6 प्रतिशत पर रही।

दोपहिया श्रेणी (स्कूटर ओर बाइक) में, इले​​क्ट्रिक स्कूटर पैठ भारत में पहले ही 4 प्रतिशत के पार पहुंच गई है और 2022 में कुल 6 लाख इले​​क्ट्रिक स्कूटरों की बिक्री हुई। कुल मिलाकर, पिछले साल दोपहिया बिक्री 1.45 करोड़ रही। यदि ई-रिक्शा को भी शामिल किया जाए तो दोपहिया और तिपहिया क्षेत्र में ईवी की पैठ बढ़कर 6-7 प्रतिशत तक है।

लेकिन दुनिया में बड़े दोपहिया बाजारों ने स्पष्ट तौर पर बेहतर प्रदर्शन किया है। आईईए और स्वच्छ परिवहन के लिए अंतरराष्ट्रीय परिषद के आंकड़े से पता चलता है कि इले​​क्ट्रिक दोपहिया और तिपहिया में 2021 तक चीन और वियतनाम की भागीदारी मजबूत रही। जहां वियतनाम में इनकी पहुंच 10 प्रतिशत रही वहीं चीन में करीब 50 प्रतिशत पर दर्ज की गई। यदि ओला इलेक्ट्रिक के मुख्य कार्या​धिकारी (सीईओ) पर भरोसा किया जाए तो इस सेगमेंट की बिक्री 2025 तक 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिक से जुड़ी होगी।

First Published - March 1, 2023 | 8:30 PM IST

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