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TAFE-AGCO विवाद सुलझने की कगार पर, मैसी फर्ग्यूसन ब्रांड को मिल सकती है नई राह

भारत में मैसी फर्ग्यूसन ब्रांड को लेकर टैफे और एगको के बीच चल रहा कानूनी विवाद जल्द खत्म हो सकता है, दोनों कंपनियां समझौते की ओर बढ़ रही हैं।

Last Updated- June 09, 2025 | 10:12 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

भारत में मैसी फर्ग्यूसन ब्रांड के स्वामित्व को लेकर ट्रैक्टर क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों – ट्रैक्टर्स ऐंड फार्म इक्विपमेंट लिमिटेड (टैफे) और अमेरिका की एगको के बीच चल रही अदालती लड़ाई जल्द ही समझौते के जरिये सुलझने के आसार हैं।

कई सूत्रों से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि दोनों पक्ष किसी समझौते पर पहुंचने के करीब हैं और एक महीने के भीतर ऐसा हो जाने की उम्मीद है। समझौते के तहत टैफे ने कंपनी में अपना निदेशक पद छोड़ दिया है। उसके पास पहले से ही एगको में 16 प्रतिशत हिस्सेदारी है। टैफे की प्रवर्तक मल्लिका श्रीनिवासन पहले एगको के निदेशक मंडल में काम कर चुकी हैं। एगको ने बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का जवाब नहीं दिया जबकि चेन्नई की टैफे ने कहा कि वह ‘सही समय पर सही जानकारी’ देगी।

एगको कॉर्पोरेशन के चेयरमैन और मुख्य कार्य अधिकारी एरिक हैंसोटिया ने पिछले महीने कंपनी नतीजों के बाद की बातचीत में कहा था, ‘हम टैफे के साथ बातचीत में हुई प्रगति से वाकई खुश हैं और टैफे के पास निदेशक मंडल की जो सीट थी, वह अब नहीं है। इसलिए हमारे 10 निदेशकों में से घटकर नौ रह गए हैं। आप कल्पना कर सकते हैं कि समूची बातचीत काफी दमदार रही है।’

दिलचस्प यह है कि एगको में टैफे सबसे बड़ी शेयरधारक है जो डीरे ऐंड कंपनी और सीएनएच इंडस्ट्रीयल के बाद दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी कृषि उपकरण विनिर्माता है। दूसरी ओर एगको के पास टैफे में 21 प्रतिशत हिस्सेदारी है। सूत्र ने कहा, ‘संभवतः यह समझौता अपने अंतिम चरण में है।’

टैफे के लिए यह ब्रांड बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके 1,80,000 से अधिक ट्रैक्टरों के कुल वार्षिक उत्पादन में से 1,00,000 से अधिक मैसी फर्ग्यूसन के हैं। साल 1960 में अपनी स्थापना के बाद से टैफे ने भारत में 30 लाख से अधिक ग्राहकों के साथ मैसी फर्ग्यूसन ब्रांड का उत्पादन, निर्माण और पोषण किया है।

हैंसोटिया ने कहा, ‘अभी समझौता नहीं हुआ है, लेकिन हम करीब पहुंच रहे हैं। हम मानते हैं कि निवेशक चाहेंगे कि हम शेयरों की पुनर्खरीद करें और इसी वजह से हम भी ऐसा करना चाहेंगे।’

अप्रैल में एगको ने पहली बार टैफे के साथ अपना समझौता समाप्त करने की घोषणा की थी जिसमें मैसी फर्ग्यूसन के लिए ब्रांड लाइसेंस भी शामिल था। इस कारण कानूनी लड़ाई शुरू हो गई। 19 नवंबर को टैफे और एगको दोनों ने दावा किया कि मद्रास उच्च न्यायालय ने मैसी फर्ग्यूसन पर उनके विवाद में उनका पक्ष लिया है। उन्होंने ‘यथास्थिति’ बनाए रखने के आदेश का हवाला दिया जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई। फरवरी में उच्च न्यायालय ने दोनों कंपनियों को यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।

भारत में मैसी फर्ग्यूसन का सफर 1960 के दशक में शुरू हुआ था, जब चेन्नई के अमलगामेशंस समूह ने भारत में इन ट्रैक्टरों को बनाने का फैसला किया था।

First Published - June 9, 2025 | 10:12 PM IST

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