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फैक्ट चेकिंग के लिए Meta का PTI से करार

Meta लोक सभा चुनाव प्रचार के गति पकड़ने के बीच अपने तृतीय पक्ष फैक्ट चेकिंग का विस्तार कर रहा है। इसी सिलसिले में उसने भारत की शीर्ष समाचार एजेंसी के साथ जुड़ने की घोषणा की।

Last Updated- April 01, 2024 | 11:01 PM IST
META

फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप पर गलत जानकारी का पता लगाने, उसकी समीक्षा करने और मूल्यांकन करने के लिए मेटा की ‘थर्ड पार्टी फैक्ट चेकिंग पार्टनरशिप’ (3पीएफसी) के साथ पीटीआई ने करार किया है। मेटा लोक सभा चुनाव प्रचार के गति पकड़ने के बीच अपने तृतीय पक्ष तथ्यान्वेषी नेटवर्क का विस्तार कर रहा है और इस सिलसिले में उसने भारत की शीर्ष समाचार एजेंसी के साथ जुड़ने की घोषणा की।

पीटीआई के मुख्य कार्य अधिकारी और प्रधान संपादक विजय जोशी ने कहा, ‘मेटा के 3पीएफसी कार्यक्रम में शामिल होकर पीटीआई की फैक्ट चेक क्षमता और प्रभाव महत्त्वपूर्ण तरीके से बढ़ेगा। यह साझेदारी भारत में डिजिटल परिदृश्य में गलत सूचनाओं के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करेगी और उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन दुनिया में अधिक आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने में सक्षम बनाएगी।’

पीटीआई एशिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी समाचार एजेंसियों में से एक है। इसका भारत और दुनिया भर में संवाददाताओं का विशाल नेटवर्क है और यह टेक्स्ट, वीडियो, तस्वीरों तथा इंफोग्राफिक्स के रूप में समाचार मुहैया कराती है।

गलत सूचनाओं के प्रसार से लड़ने और लोगों को अधिक प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए, मेटा स्वतंत्र तृतीय-पक्ष तथ्य-जांचकर्ताओं के साथ साझेदारी करती है जो गैर-पक्षपातपूर्ण ‘इंटरनैशनल फैक्ट-चेकिंग नेटवर्क’ (आईएफसीएन) के माध्यम से प्रमाणित हों और मेटा के विभिन्न प्लेटफॉर्म पर गलत सूचनाओं की पहचान, समीक्षा और मूल्यांकन करते हों।

मेटा ने दुनियाभर में किसी भी प्लेटफॉर्म का सबसे बड़ा स्वतंत्र ‘फैक्ट चेक’ करने वाला नेटवर्क बनाया है जिसमें दुनिया में करीब 100 से अधिक साझेदार 60 से अधिक भाषाओं में गलत सूचनाओं की समीक्षा कर उनका आकलन करेंगे।

मेटा के ‘3पीएफसी’ कार्यक्रम में स्वतंत्र तथ्य-जांचकर्ताओं के साथ साझेदारी करके काम किया जाता है जो अपने मंचों पर साझा की गई सामग्री की सटीकता की समीक्षा और रेटिंग करते हैं। जब किसी उपयोगकर्ता के सामने तथ्यान्वेषी दल द्वारा गलत या भ्रामक के रूप में चिह्नित सामग्री आएगी तो तदनुसार उसे ‘लेबल’ किया जाएगा और उपयोगकर्ताओं को तथ्यात्मक जानकारी वाले लिंक पर भेजा जाएगा। इससे गलत सूचनाओं का प्रसार रुकता है और उपयोगकर्ता अपनी विषयवस्तु के बारे में सोच-समझकर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं।

First Published - April 1, 2024 | 11:01 PM IST (बिजनेस स्टैंडर्ड के स्टाफ ने इस रिपोर्ट की हेडलाइन और फोटो ही बदली है, बाकी खबर एक साझा समाचार स्रोत से बिना किसी बदलाव के प्रकाशित हुई है।)

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