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पहले मुर्गी या अंडा, कई विभागों के लिए सवाल

आरोप यह था कि जीएम उन लोगों की सीवी साझा किया करते थे जो उनके दोस्त या रिश्तेदार थे और वे भर्ती टीम पर दबाव डाला करते थे कि उन्हें शॉर्टलिस्ट कर चुना जाए।

Last Updated- April 24, 2025 | 10:22 PM IST
women directors in company boards
प्रतीकात्मक तस्वीर

पहले मुर्गी आई या अंडा? इस सवाल का जवाब ऑस्ट्रेलियाई विज्ञान अकादमी के मुताबिक स्पष्ट हो गया है जिसका कहना है कि एमनियोटिक अंडा करीब 34 करोड़ साल पहले आया और पहली मुर्गी करीब 58,000 वर्ष पहले अस्तित्व में आई। इसलिए यह मानना सुरक्षित दांव है कि पहले अंडा आया। लेकिन आज हम जिस पर चर्चा करने जा रहे हैं वह मुर्गी और अंडे के सवाल से भी अधिक जटिल है।पिछले हफ्ते के कॉलम की तरह ही यह लेख वित्तीय क्षेत्र में मानव संसाधन (एचआर) विभाग कामकाज से जुड़ा है। मैं सिर्फ यह बता रहा हूं कि कोई घटना कैसे हुई और मैं यह नहीं कर रहा हूं कि कौन गलत है और कौन सही।

एक बड़ी सूचीबद्ध आवासीय वित्त कंपनी जिसमें सरकारी बैंक की बहुलांश हिस्सेदारी है, उसके सहायक महाप्रबंधक (एजीएम), एचआर ने 26 अक्टूबर, 2024 को दावा किया कि उन्होंने कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और उप प्रबंध निदेशक (डीएमडी) को ईमेल भेजकर भर्ती की प्रक्रिया में कंपनी के महाप्रबंधक (जीएम) के कथित प्रभाव की जानकारी दी। करीब साढ़े चार घंटे बाद ही शाम 7 बजे कंपनी ने उस एजीएम को एक स्थानांतरण आदेश थमा दिया। एजीएम का दावा है कि उन्हें आवाज उठाने की सजा दी गई है। हालांकि प्रबंधन का कुछ और ही कहना है। प्रबंधन का कहना है कि एजीएम, एचआर विभाग से जुड़े हुए थे और उन्हें अपने होने वाले स्थानांतरण के बारे में जानकारी थी, ऐसे में उनका ईमेल इसे रोकने का एक प्रयास भर था।

उनका तबादला क्यों किया जा रहा था? प्रबंधन का कहना है कि वह अपनी नई जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पा रहे थे और ऐसा महसूस किया जा रहा था कि उन्हें ऐसे विभाग का हिस्सा होना चाहिए जहां वह बेहतर प्रदर्शन कर सकें। हालांकि उस अधिकारी का कहना है कि वह एचआर मामले में जीएम के प्रभाव का विरोध करने की कीमत चुका रहे हैं। मेरे पास कोई गोपनीय जानकारी नहीं है। मैं केवल विभिन्न स्रोतों से यह समझने की कोशिश कर रहा हूं कि वास्तव में हुआ क्या था जिसमें मीडिया रिपोर्ट भी शामिल हैं। यह भारत की शीर्ष 10 गिरवी के बदले ऋण देने वाली (मॉर्गेज) कंपनियों में से एक सूचीबद्ध कंपनी है जिसका ऋण पोर्टफोलियो लगभग 38,000 करोड़ रुपये का है। इसके कर्मचारियों की संख्या 1,178 है और यह पूरे भारत में 219 दफ्तरों के माध्यम से संचालित है।

उस ‘व्हिसलब्लोअर’ ने पहले कंपनी की बेंगलूरु शाखा में क्लस्टर प्रमुख और मॉर्गेज प्रमुख के तौर पर काम किया था और वह 22 अप्रैल 2024 को कंपनी के मुख्यालय में मुख्य प्रबंधक (एचआर) के रूप में स्थानांतरित हुए थे। यह वास्तव में एचआर विभाग में उत्तराधिकार योजना का हिस्सा था। उन्हें अप्रैल 2025 तक विभाग का नया प्रमुख बनाया जाना था। उन्हें इसके लिए इसलिए चुना गया क्योंकि उन्होंने पहले एचआर की पढ़ाई भी की थी और उन्हें जुलाई 2024 में एजीएम-एचआर के रूप में पदोन्नति दी गई थी। दरअसल अधिकारी कथित तौर पर कर्मचारियों की भर्ती और चयन में जीएम के प्रभाव से परेशान थे।

शुरुआत में एचआर विभाग जीएम के अनुरोधों को मान रहा था लेकिन समय के साथ वे अनुरोध मांग में बदल गए और इससे भर्ती प्रक्रिया में अवांछित हस्तक्षेप होने लगा। संभवतः एजीएम ने ऐसा महसूस किया। पिछले वर्ष 23-24 अगस्त को उन्होंने अपनी टीम के दो अन्य सदस्यों, एक प्रबंधक और एक उप प्रबंधक के साथ कंपनी के प्रबंध निदेशक (एमडी) से अपनी चिंता जाहिर की। इससे पहले भी उन्होंने 29 मई को भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की बात की थी। मॉर्गेज कंपनी में भर्ती के लिए उम्मीदवारों का बायोडेटा विभिन्न जॉब पोर्टल और भर्ती एजेंसियों (तीन एजेंसियां हैं) से लिया जाता है। इच्छुक उम्मीदवार सीधे भी आवेदन कर सकते हैं। दूसरे चरण में शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों का वर्चुअल तरीके से साक्षात्कार किया जाता है। कथित तौर पर जीएम ने चयन प्रक्रिया को ‘प्रबंधित’ करने के लिए अंकों में हेर-फेर किया। फाइनल ऑफर लेटर पर उनके भी दस्तखत होते थे।

अब इसमें अनियमितता क्या थी? आरोप यह था कि जीएम उन लोगों की सीवी साझा किया करते थे जो उनके दोस्त या रिश्तेदार थे और वे भर्ती टीम पर दबाव डाला करते थे कि उन्हें शॉर्टलिस्ट कर चुना जाए। नियुक्ति के बाद भी वे यह तय करते थे कि ये उम्मीदवार किन जगहों पर काम करेंगे। इनमें से ज्यादातर सफल उम्मीदवार दक्षिण भारत के किसी एक क्षेत्र या महाराष्ट्र की सीमा वाले इलाके से ताल्लुक रखते थे।
जब जीएम ने कथित तौर पर फोन पर गाली-गलौच करना शुरू कर दिया और एजीएम को मानव संसाधन विभाग से हटाने की धमकी दी तब अधिकारी ने कंपनी के एमडी और डीएमडी के पास इस मामले को उठाया। 26 अक्टूबर 2024 को उन्होंने ईमेल भेजा और उसी दिन उन्हें स्थानांतरण का आदेश मिल गया। बेंगलूरु से उस एजीएम को हैदराबाद शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके बाद 30 अक्टूबर को उनकी शिकायत बोर्ड की ऑडिट कमिटी को भेजी गई जिसने निगरानी विभाग के एजीएम को इन आरोपों की जांच के लिए नियुक्त किया।
नवंबर की शुरुआत में जांच अधिकारी ने शिकायतकर्ता के पास कई सवाल मेल किए। इसके बाद 26 दिसंबर को एमडी, डीएमडी, जांच अधिकारी और संबंधित एजीएम ने इस मुद्दे पर वीडियो कॉन्फ्रेंस में चर्चा की। उस मीटिंग में सभी आरोप खारिज कर दिए गए क्योंकि किसी ने उनके दावे की पुष्टि नहीं की। उस वक्त मीडिया और मॉर्गेज कंपनी के ऑडिटर ने इस मामले का संज्ञान लिया।

बाद में एक और कमिटी गठित हुई जिसमें डीएमडी जांच अधिकारी थी। इस बार भी जीएम को क्लीन चिट मिल गई। प्रबंधन का कहना था कि शिकायकर्ता ने भले ही एचआर की पढ़ाई की है लेकिन वह फंसे कर्जों की रिकवरी में अच्छे हैं इसलिए उन्हें उसी विभाग में भेजा जा रहा है। इससे यह संदेश दिया गया कि उनके पत्र और उनके स्थानांतरण में कोई संबंध नहीं है बल्कि उन्होंने अपना स्थानांतरण रोकने के लिए ऐसा पत्र लिखा। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि प्रबंधन ने कहा कि एजीएम नियुक्ति की प्रक्रिया का हिस्सा थे लेकिन बाद में वह पलट गए। इसके बाद भी कुछ सवाल बने रहे।

सवाल यह है कि आखिर उस एजीएम को पहले एचआर विभाग में भेजा ही क्यों गया? संबंधित जीएम को जांच के दौरान बाहर क्यों नहीं रखा गया। इस मामले में तीन अलग-अलग उच्च न्यायालयों में रिट याचिका पर सुनवाई हो रही है। लेकिन सवाल बना हुआ है कि व्हिसलब्लोअर की शिकायत पहले आई या स्थानांतरण ऑर्डर पहले आया? व्हिसलब्लोइंग सॉफ्टवेयर और सेवा प्रदाता कंपनी सेफकॉल के एक ताजा सर्वे के मुताबिक 2024 में आधे से अधिक व्हिसलब्लोअर से जुड़ी शिकायतें एचआर संबंधी थीं जिन्हें इसी विभाग को सुलझाना था। ऐसे में इस मामले में फिर वही सवाल यहां है कि पहले मुर्गी आई या अंडा?

 

First Published - April 24, 2025 | 10:22 PM IST

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